Make Donation

Call Now(+91) 9165935983

Our LocationMahuwapara Fundurdihari Ambikapur 497001


मासिक पर स्कूल कॉलेज और गाँव के मुहल्लों में हो रही है खुली चर्चा



दस हजार स्कूली बालिकाओं को मिल रहा है हर महीने निः शुल्क पैड

आज हम कहते हैं 21वीं सदी में जी रहे हैं, हम जागरूक हो गये हैं, हम पढ़े लिखें हैं तथा अच्छे-बुरे का भेद जानते हैं। हमने पिछले 2 दशक में काफी प्रगति की है, हम चन्द्रमा से लेकर मंगल तक पहुंच चुके हैं, किन्तु फिर भी हम आज भी कुछ पुरानी रूढ़िवादी परंपराओं को लेकर चल रहे हैं और शायद उसे हम अपना गौरव और ईज्जत तक समझते हैं। इस पर चर्चा करने से भागते हैं, मुंह चुराते हैं, और यह विषय है मासिक धर्म। यह महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाली प्राकृतिक एवं नियमित प्रक्रिया है, जिससे चाह कर भी कोई महिला या लड़की बच नहीं सकती। लेकिन आज भी इसे लेकर हम पुरानी रूढ़ि परंपराओं को जी रहे हैं। इससे बाहर नहीं निकलना चाहते। मासिक के दौरान कई बार असहनीय पीड़ा तक होती है, कई प्रकार के इन्फेक्शन से भी महिलाएं एवं लड़कियां प्रभावित हो जाती हैं, लेकिन इसके बारे में घर के पुरुष सदस्य तो दूर घर की प्रमुख महिलाओं को भी जानकारी नहीं होती, क्योंकि हमने इसे अपनी ईज्जत से जोड़ दिया है। हम इस पर चर्चा का मतलब बेईज्जती से करते हैं। हमने अपने समाज को आसपास के वातावरण को ऐसा बना दिया है कि कोई भी इस पर खुल कर सार्वजनिक रूप से बात न करें, महिलाएं यदि मेडिकल शॉप पर सैनेटरी पैड लेने चली जायें तो उन्हें वह पैड पेपर या काले पॉलीथिन में लपेट कर दिया जाता है, जैसे उन्होंने कोई पाप या फिर गलत कार्य कर दिया है, जिसे सुधारने वे प्रयास कर रहीं है और दुनिया को उनके इस गलत कार्य का पता न चलें। मतलब हमने प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया को अपने सामाजिक तानाबाना में ऐसा जोड़ दिया है कि ये एकदम से गलत प्रक्रिया है। मासिक के दौरान आज भी 50% से अधिक घरों में पूजा घर में प्रवेश वर्जित है, रसोई में प्रवेश वर्जित है, अलग कमरे या बिस्तर में सोने का नियम है ऐसी कई दकियानूसी चीज है जो कि महिलाओं  के स्वास्थ्य के लिए भी घातक है। आज भी मुश्किल से 18 से 20% महिलाएं ही मासिक के दौरान सैनेटरी पैड का उपयोग करती हैं, बाकी महिलाएं व लड़कियां कपड़े एवं अन्य चीजों पर आज भी निर्भर है। इसके कई कारण हैं। इसी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से सरगुजा साइंस ग्रुप ने ईज्जत प्रोजेक्ट नाम से कार्यक्रम चला कर सरगुजा संभाग में महिलाओं के बीच इस विषय पर खुल कर चर्चा कर रही है। साथ ही सस्ते दरों पर सैनेटरी पैड भी उपलब्ध करा रही है। छात्राओं तक निःशुल्क सैनेटरी पैड दे रहे हैं। सरगुजा साइंस ग्रुप ने आज महिलाओं तथा किशोरी बालिकाओं के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठाया है,महिलाओ में मासिक के दौरान स्वच्छता को लेकर सरगुजा साइंस ग्रुप के सदस्यों ने सगुजा जिले के गांव,गली, मुहल्लो व टोलो में जाकर इस विषय में जानकारी एकत्र कर रही है, तथा इस विषय में खुलकर चर्चा कर रही है।।यहां पर महिलाओं के साथ सरगुजा साइंस ग्रुप की टीम इस प्रकार से  चर्चा कर रही है कि मासिक के दौरान महिलाएं क्या उपयोग करती है कपड़ा या पैड। तथा उनको जागरूक करते हुए यह बताया जाता है कि मासिक के दौरान उन्हें सच्छता को ध्यान में रखते हुए उन्हें  पैड या साफ कपड़ा  ही उपयोग करना चाहिए। सागुजा साइंस ग्रुप ने 400 ग्राम पंचायतों के 1000 से भी अधिक टोलों-मुहल्ल्लों सहित समूह की महिलाएं, स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया है जो लगातार चल रहा है तथा महिलाओ एवं किशोरी बलिकायो को जागरूक करते हुए सेनेटरी पैड का निःशुल्क वितरण किया जा रहा है। सरगुजा साइंस ग्रुप ने सरगुजा संभाग के सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर जिले के स्कूलों के 10,000 छात्राओं को प्रत्येक महीने निःशुल्क सेनेटरी पैड का वितरण किया जा रहा है। सरगुजा, बलरामपुर एवं सूरजपुर जिले के स्कूलों में जाकर वहां के छात्राओं से मिलकर इस विषय में खुलकर चर्चा कर रहे हैं तथा उन्हें मासिक के दौरान स्वछता का ध्यान रखना, साफ कपड़ा व पैड का ही उपयोग करना बताया जाता है साथ ही स्वास्थ्य पत्रिका एवं पम्पलेट वितरित कर जागरूक किया जा रहा है। सरगुजा साइंस ग्रुप के अध्यक्ष अंचल ओझा के मार्ग दर्शन एवं दिशा निर्देशों में ईज्जत कार्यक्रम की सायोजक सुश्री पवित्रा प्रधान के नेतृत्व में मुनिता सिंह, राशि सिंह, अमित दुबे, सैदुकुन निशा, लक्ष्मी सहित ग्रुप के अन्य सदस्य काम कर रहे हैं। सरगुजा साइंस ग्रुप के संस्थापक अंचल ओझा ने अपनी टीम के साथ बीते  कई  वर्षों से सरगुजा संभाग के अलग अलग जगहों में महिलाओ के मासिक धर्म के प्रति जागरूकता अभियान चलाया तथा इसके साथ ही निःशुल्क सेनेटरी पैड वितरण करते आ रहे है। सरगुजा साइंस ग्रुप की टीम गाँव-गाँव जाकर महिलाओं को जागरूक कर रही है, तथा समाज में मासिक धर्म के प्रति जो रूढ़िवादिता है, उनमें बदलाव लाने की कोशिश कर रही है और इस विषय में खुलकर चर्चा कर रही हैं। तथा उनको घर तक कैसे सस्ते दर पर गांव-गांव में सैनेटरी पैड मिले इसके लिए महिला स्वयं सहायता समूह के माध्यम से लगातार कार्य कर रही है। साथ ही उनको पैड को उपयोग करने का तरीका बता रही है, ताकि महिलाएं, स्कूल एवं कॉलेज की छात्राएं मासिक के दौरान स्वच्छता का विशेष ख्याल रखें एवं परेशानी होने पर महिला विशेषज्ञ अथवा नजदीकी अस्पताल में जाकर समस्या का निदान करें।